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संजय दत्त ने शुरू किया ड्रग्स से मुक्ति का अभियान एक बार जरूर देखें।

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Shuddhi Nasha Mukti evam Punarvas Kendra

Addiction in disease as per discloser of world health organisation in 1964. This disease is। athree dimensional disease i.e. physical,mental and spiritual because this disease sufferer mind,body and soul. Sufferer of this disease have I'll though,attitude and emotions.for other information go to www.shuddhinashamuktikendra.com and call9981665001.

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समस्या - शराबी या नशैलची शब्द सुनते ही एक ऐसे आदमी का चेहरा सामने आता है जो सबसे लड़ता रहता है, बिना बात गालियां बकता रहता है, घर का समान बेच रहा होता है, उसका व्यापार बंद हो चुका होता है या नौकरी जा चुकी होती है, उसके बीबी, बच्चे और वो खुद दयनीय स्थिति में होता है। क्या हमे लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसी ज़िन्दगी चाहता होगा ? इसका जवाब हम सभी न में ही देंगे। फिर ऐसा क्यों होता है वो आदमी अपना काम, सम्मान,संबंध और बहुत बार अपना जीवन भी दाव पर लगा होने के बाद भी अपना नशा बंद क्यों नहीं करता है और बहुत से मामलों में डॉक्टर ने बोला होता है कि यदि और पीयोगे तो मर जाओगे और वो व्यक्ति शराब रोकने की जगह पीकर मर जाता है। भारत में लगभग हर वर्ष लगभग 5 लाख लोग शराब के कारण मर जाते है, जबकि उनमें से अधिकतर को डॉक्टरों द्वारा पहले ही बताया चुका होता है कि और पियोगे तो मर जाओगे, ऐसा क्यों है ? इसका जवाब हम लोगों के पास नहीं है क्योंकि अधिकतर लोगों की सोच होती है कि एक शराबी या एडिक्ट अच्छा होना ही नहीं चाहता है और दूसरों को परेशान करने के लिए जानबूझकर पीता है या तो मारने के लिए उतावला है, लेकिन ऐसा न

सिगरेट (cigarette०) कैसे छोड़ें , तम्बाखू (tobacco) कैसे छोड़ें

विश्व तम्बाखू निषेध दिवस पर हम बात कर रहे है उन लोगों के लिए जो इसमें फंस चुके है वो इससे कैसे निकले ? निश्चित रूप से इसमें से निकलना आसान नहीं है ये बात मैं बहुत अच्छे से जानता हूं  क्योंकि मैं लगभग 20 साल इसमें फंसा रहा हूँ। 3 से 4 साल तक तो ये लेना मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि ये लेते ही मूड चेंज हो जाता है और अच्छा महसूस होने लगता था,रात को पढ़ने में नींद भागने में भी मुझे मदद मिली थी परंतु कुछ साल गुजरने के बाद जब मुझे इसके नुकसान महसूस होना शुरू हुए जैसे इसकी मात्रा लगातार बढ़ती जा रही थी , मैं जल्दी थक जाता था और खांसी बुखार में भी मैं चाहकर भी इसको बंद नहीं कर पाता था जिसके कारण मुझे खांसी लंबे समय बनी रहती थी। छोड़ने की इच्छा होते हुए भी इससे निकलने में मुझे 16-17 साल लग गए। आज मैं तम्बाखू से 6 साल से दूर हूँ । आज मैं देखता हूँ कि अधिकतर व्यक्ति जो लंबे समय से इसका उपभोग कर रहे है वो इसको छोड़ना चाहते है पर इससे निकल नहीं पा रहे है लोग इसके सामने शक्तिहीन हो गए है । दुर्भाग्यवश अभी तक कोई बहुत प्रभावी उपचार उपलब्ध भी नहीं है। 12th क्लास में मैंने सिगरेट पीना शुरू की कॉलेज ख़त्म