समस्या
शराबी या नशैलची (addict) शब्द सुनते ही एक ऐसे आदमी का चेहरा सामने आता है जो सबसे लड़ता रहता है, बिना बात गालियां बकता रहता है, घर का समान बेच रहा होता है, उसका व्यापार बंद हो चुका होता है या नौकरी जा चुकी होती है, उसके बीबी, बच्चे और वो खुद दयनीय स्थिति में होता है। क्या हमे लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसी ज़िन्दगी चाहता होगा ? इसका जवाब हम सभी न में ही देंगे। फिर ऐसा क्यों होता है वो आदमी अपना काम, सम्मान,संबंध और बहुत बार अपना जीवन भी दाव पर लगा होने के बाद भी अपना नशा बंद क्यों नहीं करता है और बहुत से मामलों में डॉक्टर ने बोला होता है कि यदि और पीयोगे तो मर जाओगे और वो व्यक्ति शराब(alcohol) रोकने की जगह पीकर मर जाता है। भारत में लगभग हर वर्ष लगभग 5 लाख लोग शराब के कारण मर जाते है, जबकि उनमें से अधिकतर को डॉक्टरों द्वारा पहले ही बताया चुका होता है कि और पियोगे तो मर जाओगे, ऐसा क्यों है ? इसका जवाब हम लोगों के पास नहीं है क्योंकि अधिकतर लोगों की सोच होती है कि एक शराबी या एडिक्ट(addict) नशामुक्ति (deaddicton) चाहता ही नहीं है और दूसरों को परेशान करने के लिए जानबूझकर पीता है या तो मरने के लिए उतावला है, लेकिन ऐसा नहीं है।
नशे पर नियंत्रण में कमी ही इस बीमारी का मुख्य लक्षण है,नहीं तो कौन आदमी ये सोच के घर से निकलता है कि "इतनी पियूंगा की आज में नाली में गिरूंगा" या "कुछ ऐसा करूंगा की थाने में बंद हो जाऊंगा या पब्लिक मुझ को मारेगी"। कोई नहीं चाहता कि उसका परिवार बिखर जाए, नौकरी, व्यापार और जान चली जाए।
किसी व्यक्ति का जो इस बीमारी से पीडित है नशे पर नियंत्रण ना कर पाना उसका चुनाव नहीं उसकी मजबूरी होता है क्योंकि ये एक बढ़ती हुई बीमारी है जो कि धीरे-धीरे बढ़ती है और व्यक्ति का नशा भी धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, (उन व्यक्तियों का नशा नहीं बढ़ता है जिनको ये बीमारी नहीं होती है) एक समय ऐसा आता है कि व्यक्ति 24 घंटे नशे में रहने लगता है। इसका कारण नशे पर उसकी शारीरिक और मानसिक निर्भरता बढ़ जाना होता है और वो चाह कर भी अपने नशे को नहीं रोक सकता है, अचानक रोकने पर कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है।
इस बीमार का एक लक्षण इसके पीड़ित में अपनी समस्या को लेकर अस्वीकार (denial) करना होता है क्योंकि उसने अपने मस्तिष्क में शराबी या नशैलची (addict) की एक पिक्चर बनाई होती है जिसमें वो शुरुआत में अपने को फिट नहीं कर पाता है वो हमेशा अपने से ज्यादा नशा करने वालों से अपने नशे कि तुलना कर-कर अपनी समस्या को छोटा कर के देखता रहता है, जब तक वो उस स्तर तक ना पहुंच जाए वो मानता ही नहीं है कि उसको नशे से समस्या है। इस कारण उसकी समस्या निरंतर बढ़ती जाती है और जब वो मानने लगता है कि समस्या है तब तक विलंब हो जाता है, बहुत नुकसान हो चुका होता है और नशे से बाहर आना भी कठिन हो जाता है।
समाधान
दुर्भाग्यवश अभी तक चिकित्सा विज्ञान के पास कोई ऐसी दवाई नहीं है कि व्यक्ति को खिला दो और वो वह नशा करना बंद कर दे या नियंत्रिण मात्रा में करने लगे। किन्तु अमेरिका से आए 12 स्टेप प्रोग्राम ( एल्कोहलिक एनोनिमस और नारकोटिक्स एनोनिमस ) (Alcoholic Anonymous and Narcotics Anonymous) नशा मुक्ति(Deaddiction) लिए अभी तक सबसे प्रभावी रहे है , ये प्रोग्राम कहता है कि नशा मुक्ति (deaddiction) के लिए आवश्यक है कि सबसे पहले व्यक्ति स्वीकार करे की उसको नशे से समस्या है और इस कारण उसको जीवन अस्त व्यस्त हो गया है इसके बाद व्यक्ति को सबसे ज्यादा आवश्यकता मानसिक बदलाव या कहें कि विचारों में परिवर्तन की होती है। इसके लिए हमारे यहां विशेषज्ञ काउंसलर होते है।
हमारे केंद्र नशा पीड़ित व्यक्तियों को बुरा व्यक्ति ना मान कर उन्हें बीमार व्यक्ति माना जाता है और प्रेम और सहानुभूति पूर्ण व्यवहार किया जाता है। इस 12 स्टेप प्रोग्राम की सहायता से तथा प्रोग्राम में कुछ साइकोलॉजिकल तकनीक (साइको थेरेपीज)(psycho therapy) होती है इनसे तथा इसके साहित्य को आधार रख कर कक्षाएं होती है जिनके माध्यम से उनके विचारों में परिवर्तन करने में मदद की जाती है। जिससे वे अपनी बीमारी के प्रति एक नई और व्यावहारिक समझ विकसित कर पाते है और नशे में किए गए गलत कार्यों के कारण जो उनके अंदर अपराध बोध और भय आ जाता है, उससे मुक्त होते है। इस कार्यक्रम की (12 Step Program) कुछ मनोवैज्ञानिक तकनीक और काउंसलिंग द्वारा उनके अंदर अपने परिवार, मित्रों और समाज के प्रति जो खुन्नस उनके अंदर आ जाती है उसे भी समाप्त करने में मदद की जाती है।
लगातार नशे करने के कारण व्यक्ति के विचार अस्थिर तथा संकल्प शक्ति कमजोर हो जाती है। इस समस्या को दूर करने लिए हमारे केंद्र (deaddiction centre) में आयुर्वेदिक चिकित्सक के माध्यम से शिरो-धारा करवाई जाती है। ये एक बहुत पुरानी तकनीक है विचारों में स्थिरता लाने की। लंबे समय तक नशा करने के कारण बहुत से लोगों को मानसिक परेशानियां हो जाती है उनके निदान के लिए मनोचिकित्सक (साइकिएट्रिस्ट) की आवश्यकता होती है जिनकी सुविधा हमारे केंद्र (deaddiction centre) में उपलब्ध है।
अधिक जानकारी के लिए देखें वेबसाइट : https://shuddhinashamuktikendra.com
Problem When the word 'addict' comes, the image of a man comes in front of us that the one who is fighting the most, does speak abusively, sold his house, his business has been closed, or the job was gone.His wife, children and he himself is in a miserable situation. Do we think that someone would want such a life? We will not answer it at all. Then why this happens why the person does not stop his addiction even after his work, respect, relation and many times his life has been claimed, and in many cases the doctor has said that if he gets drunk then he will die. And that person drops to drink instead of drinking alcohol. Unable to control the urge of addiction is the main symptom of this disease, otherwise, who comes out of the house thinking that "I will fall into the drain today" or "I will do something that will land me up in the police station or public will kill me " Nobody wants his family to collapse, job, business and life After long periods of...
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